आज चैत्र प्रतिपदा से भारतीय नव वर्ष, विक्रम संवत २०७४ प्रारंभ हो जाएगा। हमारे यहाँ प्रत्येक संवत्सर का एक नाम होता है, जो षष्टि संवत्सर चक्र पर आधारित होता है।
षष्टि संवत्सर चक्र के ६० भाग होते हैं, और प्रत्येक का एक नाम होता है, जिसके
अनुसार विक्रम संवत का नामकरण होता है। कभी-२ इस चक्र के कुछ नमो को छोड़कर अगले नाम
को ले लिया जाता है क्योंकि ये देव गुरु ब्रहस्पति की भचक्र में स्थिति से सीधा सम्बन्ध
रखता हैं। ब्रहस्पति ग्रह १२ वर्ष से थोडा कम समय में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता
हैं।
षष्टि संवत्सर चक्र, २०-२० संवतो के तीन भागों में विभाजित है, प्रथम भाग प्रभव से अव्यय तक ब्रह्मा, द्वितीय भाग सर्वजीत से पराभव विष्णु तथा प्ल्वंग से आक्षय शिव को समर्पित हैं।