भारत में निराश्रय/निराधार होता भ्रष्टाचार

भारत में निराश्रय/निराधार होता भ्रष्टाचार

आज भारत में भ्रष्टाचार की कमर टूटने लगी है, सवा सौ करोड़ देशवाशियों व उनके चुने प्रतिनिधियों द्वारा भ्रष्टाचार की बैसाखी खींचने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है, जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण भी देश में उठ रहे और उठने वाले बावलों से स्पष्ट हो जाता है।


भ्रष्टाचार लोलुपता या राजनैतिक विछोभ 

हिंदुस्तान में उठने वाले अधिकतर बवाल जो उठते तो बहुत नीचे से है, पर उनकी सबसे ऊपर और सबसे ऊँचे उड़ने और उठने की कोशिश उनकी वास्तविकता और मौलिकता पर सवाल उठाता है। छोटी-२ समस्याओं के लिए, जो नयी नहीं है, और जिनका व्यापक स्तर पर निरपराध समाधान इतनी आसानी और शीघ्रता से नहीं निकल सकता के लिए आप उस स्तर पर, उसपर निशाना साधने की कोशिश करते है, जहाँ से न तो यह सब दृस्तिगोचर होता हो, न उस स्तर का शिकार ही कहीं नजर आता हो, बस भिन्न-२ प्रकार से सभी अँधेरे में तीर चला रहे है, इस आशा में की शायद कोई तो लगेगा निशाने पर, या उसके नजदीक। 
DBT removing duplicate beneficiaries


हमारे तीरंदाज़ मित्र अगर यह वाकई आप की सोच है, और आपके भीतर/अंदर कहीं इस राष्ट्र का अंश भी मौजूद है, तो आपको समझना चाहिए, औरों को/उन्हें समझाना चाहिए, राजनीति तो पहले भी होती थी, और बाद में भी हो जाएगी पर सौभाग्य से आज जो मौका राष्ट्र को मिल गया है, उसे मत जाने दो, उलूल-जुलूल बातों और व्यर्थ के मुद्दों में राष्ट्रीय उन्नति को मत उलझाओ, मौके बार-२ नहीं मिलते, समय फिर नहीं आता।



प्रकट रूप से राष्ट्र को छोड़ किसी राजनैतिक दल से प्रेरित सरकार का अनुमोदन करना उचित नहीं लगता, पर अगर केवल वही राष्ट्र रूपी नैया का खिवैया हो तो, कौन अपने देश की नैया खोखले सिद्धांतों के लिए डुबोना चाहेगा। 

व्यक्तिगत रूप से मै सभी का सम्मान करता हूँ, ये भी समझता हूँ की कहीं न कहीं, किसी स्तर पर प्रत्येक भारतीय इंसान की कोशिश रहती है की वह देश की सेवा करे, हिन्दुस्तानियों के लिए कुछ करे

पर वह क्या कर सकता है, क्या करता है, इस देश के मूल स्वरुप को समझने की योग्यता व शक्ति उसमे कितनी है, इनका उचित मिश्रण हर किसी भारतीय या किसी भी मनुष्य में अप्राकृत रूप से प्रकट नहीं किये जा सकते, कुछ चीजे प्रारब्धवश भी होती है, हाँ मनुष्य अपनी मेहनत और लगन से अपने गुणों की व्यापकता और उपयोगिता बढ़ा सकता है, और जब यहाँ सब प्रत्यक्ष और प्रामाणिक, सबके सामने हो रहा हो, तो उसे स्वीकारने में ही देश और समाज का भला है। 


भले ही कुछ लोगों को इससे राजनैतिक या व्यक्तिगत रूप से हानि ही होती हो, पर उनका राजनैतिक या व्यक्तिगत स्वार्थ राष्ट्र से ऊपर तो नहीं हो सकता, अगर हो सकता है तो शायद, आज राष्ट्र का नैतिक पतन मेरी व्यक्तिगत सोच/जानकारी से अधिक हो चुका है





आधार भ्रष्टाचार की जड़ो पर सीधा वार

Unique Identification Authority of India AADHAR Crosses a new milestone 111 crore aadhar generated
देश में तेजी से आधार का प्रचार और प्रसार हो रहा है, पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने इसके लिए प्रयास किया था, और आज भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी इसकी उपयोगिता और मारक क्षमता से भली भांति परिचित है, और जानते है, की भ्रष्टाचार का जड़ो तक उन्मूलन करने के लिए ये वज्रपात है, कुछ लोग शायद इसे समझ गए है, जबकि एक बड़ा  भ्रष्ट वर्ग इसके प्रभाव को महसूस करने लगा है, और समझ गया है, अब बचना मुस्किल ही नहीं नामुमकिन है।

कुछ लोग इस नए  भ्रष्टाचार विहित परिवेश  में स्वयं को निहत्था पा रहे है, उन्हें लग रहा है, की अब भविष्य अंधकारमय है। इतने वर्षो से अँधेरे में रहते-२ ये लोग अब उजाले से डरने लगे है, इनको लगता है की ये निशाचर है और केवल रात्रि के अन्धकार में ही, देख सकते है, कार्य कर सकते है।



आधार की नकेल बहुतों के नाक की नकेल बन चुका है, आधार पत्र फिलहाल घरेलू गैस उपभोग, राशन वितरण में उपयोग होने लगा है, और भविष्य में इसका प्रयोग अन्य स्थानों पर भी होने लगेगा जिससे किसी एक राजनीतिक दल या समाज के वर्ग या किसी विशेष धर्म या राजनीतिक दल का लाभ नहीं हो रहा, न ही हानि।
transforming India - Initiatives by Indian Government


पर जो इससे विचलित हुए है, वे ये बोल भी नहीं सकते, बस उन्हें इस सरकार से, इस नेतृत्व से नफरत हो गई है, और ऐसा नहीं इसमें केवल राजनीतिक या व्यापारी वर्ग ही हो जिसे नुकसान होता लग रहा हो, इसमें हमारे प्रिय प्रशासक भी शामिल है, जिनको सभी नजर अंदाज कर रहे है, जाहिर है, उनका एक वर्ग भी इससे आहात हो रहा है, और उसे भी पहले की तरह मुक्ति चाहिए।

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